मित्रो आपको याद होगा 4 साल पहले बहुत बड़ा बवाल हुआ था !
BT बैगन के ऊपर ! जब कांग्रेस सरकार इसको मंजूरी देने वाली थी !
BT बैंगन आ जायेगा BT आने वाला है ऐसे बातें चल रही थी
भाजपा ,बाबा रामदेव ,संघ सबसे मिलकर भयंकर विरोध किया !
सोशल मीडिया जो मित्र उस वक्त active थे जानते होंगे बहुत बड़ा बवाल हुआ था !!
महेश भट्ट को बोल कर poison on the platter हिन्दी मे छोटी सी फिल्म बना दी गई
और उसके माध्यम से लोगो को समझाया गया की किस प्रकार GM फसलें कितनी
खतरनाक है भारत के लोगो की पूरी नस्ल ही बिगड़ जाएगी !! किसान ,जानवर और आम जनता इतने भंयकर रूप से बीमार जाएंगे जिसकी कोई सीमा नहीं !!
वैसे अभी तक भारत मे सिर्फ BT कपास की मंजूरी है और आप कभी पंजाब और अन्य राज्य मे जाकर देखिये कितने जानवर कपास के बाद उसकी खली खाने से मर गए ! चूहो और अन्य जानवरो पर परीक्षण किया गया उनके फेफड़े खराब हो गए ,लकवा हो गया ,शरीर फूल गया ! GM फसलों के दुष्प्रभाव की बात की जाए तो 10 -12 लंबी लंबी पोस्टे इसके ऊपर बन जाएँ !! लेकिन अभी तक सिर्फ कपास की फसल मे है तो उससे कपड़ा बन रहा जो की पहला जाता है खाया नहीं जाता इसलिए ज्यादा बातें सामने निकल कर नहीं आई !!
खैर मैं अभी मुख्य बात पर आता हूँ ! तो मुख्य बात ये है की किसी समय जिस भाजपा ने
इतना भयंकर GM फसलों विरोध किया था ,सत्ता मे आने के बाद 17 जुलाई 2014 को 21 नई GM फसलों के परीक्षण की अनुमति दे दी , जिसमे गेहूं और धान भी शामिल है !!
आगे पूरी बात सुनिये ! पहले ये अनुमति जाते जाते कांग्रेस सरकार देने वाली थी !
भाजपा ने विरोध किया और तो और 7 अप्रैल 2014 को जारी किए गए अपने घोषणा पत्र मे लिखवा दिया !
कि ’’आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जी.एम.) खाद्य को बिना वैज्ञानिक जांच पड़ताल के अनुमति नहीं दी जायेगी। इसमें देखा जायेगा के उत्पादन के दौरान मृदा पर और जैव वैज्ञानिक रूप से उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ा।’’ चुनाव घोषणा पत्र 7 अप्रैल 2014 को जनता के लिए जारी किया गया।
न तो भारत सरकार और न ही जैव प्रौद्योगिकी अनुमोदन समिति ने अभी तक यह स्पष्ट किया है कि वैज्ञानिक परीक्षण कौन से और कब किए गए और न ही यह बताया है कि 7 अप्रैल 2014 एवं 18 जुलाई 2014 जब जी.एम. खाद्य फसलों के खुले परीक्षण की अनुमति दी गई है, के बीच परिस्थितियों में क्या अंतर आ गया है। या भारत सरकार ने किस विदेशी कंपनी के दबाव मे आकार ये अनुमति दी ??
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लेकिन उसी दिन एक अच्छी खबर मिली की संघ (RSS) पूरी तरह से सरकार के इस निर्णय के खिलाफ है , और आंदोलन की धमकी तक दे डाली है ! संघ ने साफ- साफ
शब्दो मे बोल दिया की या तो सरकार ये निर्णय तुरंत वापिस ले वरना हमारे पास अन्य विकल्प खुले है !
और अच्छी खबर ये है की संघ के दबाव मे आकर मोदी सरकार ने आज अपना फैसला वापिस ले लिया है ! अब इन जीएम फसलों का परीक्षण नहीं किया जाएगा !
लेकिन एक बात जो इस सारी घटना से जो निकल के आ रही है की मोदी सरकार को ऐसी क्या मजबूरी आ गई ?? की अपने ही घोषणा पत्र मे लिखी की बात उलट निर्णय लेना पड़ा ??
कल तक जिस बात का भाजपा विरोध कर रही थी सत्ता मे आते ही उसके विपरीत निर्णय किस मजूबरी मे लिया गया !!
अगर संघ दबाव ना बनाता तो क्या भाजपा अपने इस निर्णय को बदलती ??
क्या मनमोहन सरकार की तरह मोदी सरकार भी विदेशी कंपनियो की गुलाम है ?
या बात वही की जो धन देता है वो धुन बजवाता है 60 लाख करोड़ के कर्ज मे दबा भारत और भारत सरकार विदेशियों की गुलामी करने मे आज भी मजबूर है ???
ऐसे और बहुत से सवाल है मित्रो जो मोदी सरकार की देश के प्रति निष्ठा पर प्रशन चिन्ह लगा सकते है !!
BT बैगन के ऊपर ! जब कांग्रेस सरकार इसको मंजूरी देने वाली थी !
BT बैंगन आ जायेगा BT आने वाला है ऐसे बातें चल रही थी
भाजपा ,बाबा रामदेव ,संघ सबसे मिलकर भयंकर विरोध किया !
सोशल मीडिया जो मित्र उस वक्त active थे जानते होंगे बहुत बड़ा बवाल हुआ था !!
महेश भट्ट को बोल कर poison on the platter हिन्दी मे छोटी सी फिल्म बना दी गई
और उसके माध्यम से लोगो को समझाया गया की किस प्रकार GM फसलें कितनी
खतरनाक है भारत के लोगो की पूरी नस्ल ही बिगड़ जाएगी !! किसान ,जानवर और आम जनता इतने भंयकर रूप से बीमार जाएंगे जिसकी कोई सीमा नहीं !!
वैसे अभी तक भारत मे सिर्फ BT कपास की मंजूरी है और आप कभी पंजाब और अन्य राज्य मे जाकर देखिये कितने जानवर कपास के बाद उसकी खली खाने से मर गए ! चूहो और अन्य जानवरो पर परीक्षण किया गया उनके फेफड़े खराब हो गए ,लकवा हो गया ,शरीर फूल गया ! GM फसलों के दुष्प्रभाव की बात की जाए तो 10 -12 लंबी लंबी पोस्टे इसके ऊपर बन जाएँ !! लेकिन अभी तक सिर्फ कपास की फसल मे है तो उससे कपड़ा बन रहा जो की पहला जाता है खाया नहीं जाता इसलिए ज्यादा बातें सामने निकल कर नहीं आई !!
खैर मैं अभी मुख्य बात पर आता हूँ ! तो मुख्य बात ये है की किसी समय जिस भाजपा ने
इतना भयंकर GM फसलों विरोध किया था ,सत्ता मे आने के बाद 17 जुलाई 2014 को 21 नई GM फसलों के परीक्षण की अनुमति दे दी , जिसमे गेहूं और धान भी शामिल है !!
आगे पूरी बात सुनिये ! पहले ये अनुमति जाते जाते कांग्रेस सरकार देने वाली थी !
भाजपा ने विरोध किया और तो और 7 अप्रैल 2014 को जारी किए गए अपने घोषणा पत्र मे लिखवा दिया !
कि ’’आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जी.एम.) खाद्य को बिना वैज्ञानिक जांच पड़ताल के अनुमति नहीं दी जायेगी। इसमें देखा जायेगा के उत्पादन के दौरान मृदा पर और जैव वैज्ञानिक रूप से उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ा।’’ चुनाव घोषणा पत्र 7 अप्रैल 2014 को जनता के लिए जारी किया गया।
न तो भारत सरकार और न ही जैव प्रौद्योगिकी अनुमोदन समिति ने अभी तक यह स्पष्ट किया है कि वैज्ञानिक परीक्षण कौन से और कब किए गए और न ही यह बताया है कि 7 अप्रैल 2014 एवं 18 जुलाई 2014 जब जी.एम. खाद्य फसलों के खुले परीक्षण की अनुमति दी गई है, के बीच परिस्थितियों में क्या अंतर आ गया है। या भारत सरकार ने किस विदेशी कंपनी के दबाव मे आकार ये अनुमति दी ??
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मैं ये पोस्ट इससे भी अधिक विस्तार से उसी दिन लिखने वाला था ! लेकिन रुक गया ! मैं जानता था की कुछ लोग अंधभक्ति मे इतने चूर है जैसे ही मैं ये पोस्ट करूंगा ! सब के सब अंधभक्त जिन्होने बेशक कभी खेत ना देखा हो ,कभी खेत मे गए ना हो ,कृषि का (क) भी ना जानते हो ,जिनको देसी और हाईब्रिड बीजों का अंतर ना पता हो ,धान की भारत मे कितनी किसमे रही ये ना पता, ऐसी post पढ़ते से सब के सब कृषि विशेषज्ञ बन जाएंगे !
और अपने कुतर्को से पूरा दिमाग खराब कर देंगे !! और उल्टा हमको ही सलाह देंगे की इससे ये लाभ होगा वो लाभ होगा , मोदी सरकार ने जो किया है ठीक ही किया होगा ,ऐसे कुतर्को की बोछार कर देते !! क्योंकि इनके लिए नेता पहले है देश बाद मे !
और अपने कुतर्को से पूरा दिमाग खराब कर देंगे !! और उल्टा हमको ही सलाह देंगे की इससे ये लाभ होगा वो लाभ होगा , मोदी सरकार ने जो किया है ठीक ही किया होगा ,ऐसे कुतर्को की बोछार कर देते !! क्योंकि इनके लिए नेता पहले है देश बाद मे !
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लेकिन उसी दिन एक अच्छी खबर मिली की संघ (RSS) पूरी तरह से सरकार के इस निर्णय के खिलाफ है , और आंदोलन की धमकी तक दे डाली है ! संघ ने साफ- साफ
शब्दो मे बोल दिया की या तो सरकार ये निर्णय तुरंत वापिस ले वरना हमारे पास अन्य विकल्प खुले है !
और अच्छी खबर ये है की संघ के दबाव मे आकर मोदी सरकार ने आज अपना फैसला वापिस ले लिया है ! अब इन जीएम फसलों का परीक्षण नहीं किया जाएगा !
लेकिन एक बात जो इस सारी घटना से जो निकल के आ रही है की मोदी सरकार को ऐसी क्या मजबूरी आ गई ?? की अपने ही घोषणा पत्र मे लिखी की बात उलट निर्णय लेना पड़ा ??
कल तक जिस बात का भाजपा विरोध कर रही थी सत्ता मे आते ही उसके विपरीत निर्णय किस मजूबरी मे लिया गया !!
अगर संघ दबाव ना बनाता तो क्या भाजपा अपने इस निर्णय को बदलती ??
क्या मनमोहन सरकार की तरह मोदी सरकार भी विदेशी कंपनियो की गुलाम है ?
या बात वही की जो धन देता है वो धुन बजवाता है 60 लाख करोड़ के कर्ज मे दबा भारत और भारत सरकार विदेशियों की गुलामी करने मे आज भी मजबूर है ???
ऐसे और बहुत से सवाल है मित्रो जो मोदी सरकार की देश के प्रति निष्ठा पर प्रशन चिन्ह लगा सकते है !!
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